
यह दुखदायी खबर है। यह सुनकर बहुत बुरा लग रहा है कि वाडेकर सर हमारे बीच नहीं रहे। हमारा रिश्ता बहुत पुराना है। 1992 में वह टीम मैनेजर के तौर पर जुड़े। हम उनकी कहानियां सुनते हुए बड़े हुए थे। हमने सुना था कि वह मुंबई कैंप में किस तरह का क्रिकेट लेकर आए थे- खेलना का खड़ूस तरीका।
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